पिछले एक हफ़्ते में मैंने ये सवाल दिल्ली के कई आम नागरिकों से पूछा कि दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ेगा. सभी ने मुझसे कहा कि दिल्ली में चुनाव का असर राष्ट्रीय राजनीति पर ज़रूर पड़ेगा.
दिल्ली के केंद्र में मौजूद कनॉट प्लेस की एक ऊंची बहुमंज़िला इमारत में एक सिक्योरिटी गार्ड की हैसियत से काम करने वाले प्रवीण कुमार कहते हैं, "बीजेपी हर चुनाव को, यहाँ तक कि एमसीडी के चुनाव को भी, गंभीरता से लेती है और जी जान से चुनाव लड़ती है. पार्टी की हार हो या जीत इसका असर उसके मनोबल पर ज़रूर पड़ेगा."
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के इमाम जाफ़र की राय में "दिल्ली में बीजेपी को हार मिली तो इसका असर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की साख पर होगा. और अगर आम आदमी पार्टी की शिकस्त हुई तो पार्टी के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह भी लग सकता है."
दिल्ली चुनावों के मद्देनज़र अमित शाह अपनी चुनावी सभाओं में केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, राम मंदिर का उनके पक्ष में आया फ़ैसला जैसी उपलब्धियाँ शामिल हैं.
लेकिन दिल्ली के चुनाव का फ़ैसला राष्ट्रीय मुद्दों पर नहीं होगा. तो फिर ऐसे में इसके नतीजों का असर देश की सियासत पर कैसे और क्यों पड़ेगा? जबकि दिल्ली को एक पूर्ण राज्य का भी दर्जा तक हासिल नहीं है